Saturday, December 19, 2020

सर्दियों की सुबहों को 
मेरा बिस्तर मुझे उठने ही नहीं देता
जकड़ कर रखता है 
रज़ाइयां मन मन भर की लगती हैं 
और बाहर की ठंडी हवा 
बची हुई सारी कसर निकाल देती है 

नतीजन, सर्दियों की सुबहों को मैं 
बिस्तर से उठ ही नहीं पाती 
कभी कभी तो, 
दोपहर हो जाने तक!

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