Tuesday, December 22, 2020

बहुत सोचा 
कि तुम्हारे नाम की 
जो कविताएं हैं, 
उन्हें किस तरह 
तुम तक पहुँचाऊँ 

आज यह कोशिश छोड़ दी 
एक बात बताओ, 
इसमें ज्यादा नुक्सान किसका है 
मेरा, या तुम्हारा?

Saturday, December 19, 2020

सर्दियों की सुबहों को 
मेरा बिस्तर मुझे उठने ही नहीं देता
जकड़ कर रखता है 
रज़ाइयां मन मन भर की लगती हैं 
और बाहर की ठंडी हवा 
बची हुई सारी कसर निकाल देती है 

नतीजन, सर्दियों की सुबहों को मैं 
बिस्तर से उठ ही नहीं पाती 
कभी कभी तो, 
दोपहर हो जाने तक!

Friday, December 18, 2020

पूरा बरस बीत गया उस बात को 
जब मैंने कुछ संजीदगी से 
जिंदगी का एक सबक 
तुम्हे सौंप दिया था 

तुम परेशान सी हो गयी थी 
तुम्हें देख मेरा मन भी 
विचलित हो उठा था 
पर मेरे सांत्वना देने से 
ज़िन्दगी का वह महत्वपूर्ण सबक 
खो न जाये,
ये सोच मैंने कुछ नहीं कहा 

तुमने भी जाने क्या सोच कर 
मुझ से कुछ न कहा 
लेकिन अपनी नाराज़गी 
कविताओं में पिरो दी 
मैं तब भी चुप रही

अब दुनिया भर में 
तुम्हारी कविताएँ दिखा 
उस दिन की बात कहती हूँ,
पर यह बात तुम 
कैसे जान पाओगी?

Thursday, December 17, 2020

तुम्हें बातें करनी थीं 
पर तुम्हारे अभिमान ने 
'हेलो' के आगे कुछ न कहने दिया 

खुद के गुरुर को मैंने
लम्बी छुट्टी पर भेज दिया है 
फ़ोन पर हँसी का एक पुलिंदा भेज 
तुम्हारे अभिमान को भी
धराशायी कर दिया है 

अब शायद 'हेलो' के आगे 
कुछ बात हो सके!

Tuesday, December 15, 2020

रात को सोते सोते 
अचानक जाग गयी
दिल बेचैन था 
तुम्हें यह बताने को 
कि मैं तुमसे 
बहुत प्यार करती हूँ 

पर बताने की 
हिम्मत नहीं पड़ रही थी
तो अपनी सारी बेचैनी 
एक कविता में उड़ेल दी
अब चोरी छिपे 
इस कविता को
तुम तक पहुँचा दूँगी!

Sunday, December 13, 2020

आज पहली बार ऐसा हुआ है 
कि तुमने मेरा दिल तोड़ा
और मैं तुम्हारे सामने ही रो पड़ी

उन दिनों का कोई हिसाब नहीं है 
जब तुमने मेरा दिल तोड़ा
पर मैं तुम्हारे सामने नहीं थी।
इतने दिनों से डर रही थी 
कि कहीं चोट ना लग जाए 
आज डर को निकाल फेंका है 
देखें तो सही,
कौन कितनी चोटें दे सकता है।